Friday 23 March 2018

मापन का अर्थ एवं परिभाषा । मापन के अंग एवं प्रकार ?

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शैक्षिक मापन का अर्थ एवं परिभाषा
मापन एक ऐसा प्रत्यय है जो अत्यंत प्राचीन काल से दैनिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में बहुतायत रूप में प्रयोग किया जाता है| सामान्यतः व्यक्ति अपने जीवन से संबन्धित कार्यों को करने के दौरान अनेकों बार औपचारिक ढंग से मापन करता है| उदाहरणार्थ-वस्त्र विक्रेता कपड़ा नापता है,ग्वाला दूध नापता है,फल विक्रेता फल तौलता है,डॉक्टर शरीर का तापमान मापता है| ये सभी मापन के ही उदाहरण हैं| यद्यपि इन सभी में मीटर, लीटर, किग्रा तथा थर्मामीटर जैसे किसी मानक साधन की आवश्यकता होती है,
मापन की परिभाषा
मापन का आधार थोर्नडाइक के इस कथन में निहित है की - "जो कुछ भी अस्तित्व में है ,उसका अस्तित्व कुछ परिणाम में होता है।"
इस संकल्पना की सहमति पर बल देते हुए मैककाल ने कहा है कि-"यदि कोई वस्तु किसी परिमाण में अस्तित्व में है तो उसका मापन हो सकता है।"
अब किसी वस्तु,प्राणी अथवा क्रिया के किसी गुण को निश्चित शब्दों ,चिन्हों अथवा इकाई अंकों में संक्षिप्त रूप में प्रकट किया जाता है।
अनेक विद्वानों ने अपने-अपने दृष्टिकोण से मापन की इस प्रक्रिया को परिभाषा में बांधने का प्रयास किया है, जो इस प्रकार है-

कैम्पबेल के अनुसार-"नियमों के अनुसार वस्तुओं या घटनाओं को प्रतीकों में व्यक्त करना मापन है।"

एस॰एस॰स्टीवेन्स के अनुसार-,"मापन किन्ही निश्चित स्वीकृत नियमों के अनुसार वस्तुओं के अंक प्रदान करने की प्रक्रिया है।"
जी० सी० हेल्मस्टेडटर के अनुसार-,"मापन किसी व्यक्ति या वस्तु में निहित किसी विशेषता के विस्तार का अंकीक वर्णन प्राप्त करने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है।"
ब्रेडफ़ील्ड तथा मोरेडोक के अनुसार,”मापन की प्रक्रिया में किसी घटना या तथ्य के विभिन्न आयामों के लिए प्रतीक निश्चित किए जाते हैं| ताकि उस घटना या तथ्य के बारे में यथार्थ निश्चित किया जा सके |”


             मापन के प्रकार
मापन उपकरण या विधि या उनके प्राप्त परिणामों के आधार पर मापन के तीन भेद होते हैं, जो क्रमशः निरपेक्ष मापन, सामान्यीकृत मापन तथा स्वमानक मापन कहे जाते हैं|
1.निरपेक्ष मापन:- निरपेक्ष मापन वह मापन होता है जिसमें परम शून्य की स्थिति विद्यमान होती है और पैमाने का प्रारम्भिक बिन्दु शून्य से प्रारम्भ होता है| यदि इस पैमाने पर संख्या शून्य से अधिक होती है तो धनात्मक तथा शून्य से कम होती है तो ऋणात्मक मान देते है| उदाहरणस्वरूप यदि किसी स्थान का तापमान शून्य है तो वह शून्य से अधिक भी हो सकता और शून्य से कम भी हो सकता है| इस प्रकार का मापन मनोवैज्ञानिक,सामाजिक एवं शैक्षिक चरों में संभव नहीं होता है जबकि भौतिक चरों में संभव होता है| यदि किसी उपलब्धि परीक्षण में राम को शून्य(0) अंक प्राप्त होता है,तो यह कदापि नहीं समझना चाहिए कि उस विषय में राम की योग्यता शून्य है| उपलब्धि परीक्षण से प्राप्त शून्य(0) अंक का तात्पर्य केवल यह होता है कि राम अमुक परीक्षण के किसी भी प्रश्न को हल करने में समर्थ नहीं पाया गया|
2.सामान्यीकृत मापन: शिक्षा और मनोविज्ञान के क्षेत्र में प्रयोग किए जाने वाले परीक्षणों तथा मापनियों से प्राप्त माप प्रायः मानकीय माप होते हैं| सामान्यीकृत माप को मानकीय माप भी कहते हैं| सामान्यीकृत मापन वह मापन है जिसमें एक-दूसरे से प्रभावित नहीं होते, बल्कि वे स्वतंत्र रूप से प्राप्त होते हैं तथा साथ ही परम शून्य की सम्भावना नहीं होती; जैसे-यदि किसी विषय के उपलब्धि परीक्षण में राम शून्य अंक प्राप्त करता है तो इसका अर्थ यह कदापि नहीं होता है कि उस विषय में उस छात्र राम की योग्यता शून्य है, बल्कि इसका केवल यह अभिप्राय होता ही कि उस उस उपलब्धि परीक्षण के किसी भी प्रश्न को हल करने से राम असफल रहा है|
3.इप्सेटिव या स्वमानक मापन: स्वमानक शब्द का प्रयोग परीक्षण के क्षेत्र में सर्वप्रथम रेमण्ड कैटेल ने किया था| स्वमानक मापन का विस्तृत वर्णन कैटेल ने अपनी पुस्तक में किया है|

    मानकीय माप के विपरीत स्वमानक माप होते हैं| मापन के अनेक उपकरण एवं विधियों में एक उपकरण या विधि ऐसी है जिसमें व्यक्ति या छात्र को बाध्य चयन करना पड़ता है| इस विशी से मापन करने को कैटेल ने इप्सेटिव मापन की संज्ञा दी है| इसमें व्यक्ति या छात्रों ले समक्ष कुछ प्रश्न, कथन अथवा समस्याएँ उपस्थित की जाती है और उनसे उन्हें वरीयता क्रम(1,2,3,4आदि) प्रदान करने के लिए कहा जाता है| यदि कोई व्यक्ति या छात्र किसी एक कथन को प्रथम वरीयता (1) प्रदान करता है तो अन्य किसी कथन को वह, यह वरीयता नहीं प्रदान कर सकता है|

मापन के अंग
मापन प्रक्रिया के निम्न अंग होते हैं-
(i)मापनकर्ता-वह व्यक्ति जो चरों का मापन करता है|
(ii)वस्तु,प्राणी अथवा क्रिया जिसकी किसी विशेषता का मापन होना है|
(iii)वस्तु,प्राणी अथवा क्रिया की वह विशेषता जिसका मापन करना है|
(iv)वांछित चर की विशेषता को मापने के उपकरण या विधियाँ|
(A)गुणात्मक एवं मात्रात्मक मापन
वर्तमान समय में भौतिक तथा सामाजिक दोनों प्रकार के विज्ञानों की मानव जीवन को आवश्यकता होती है| सामाजिक विज्ञानों में, जिनमें शिक्षा और मनोविज्ञान भी सम्मिलित है,मापन भौतिक तथा स्थूल न होकर सूक्ष्म तथा गुणात्मक होते हैं और इनका मापन निश्चित एवं निर्दिष्ट इकाइयों में नहीं हो सकता है| अतः सामाजिक विज्ञानों का मापन गुणात्मक होता है| इसके विपरीत भौतिक विज्ञानों के तथ्य स्थूल होते हैं,उन्हें भौतिक रूप से मापा जा सकता है| अतः भौतिक विज्ञान के माप परिमाणात्मक या मात्रात्मक होते हैं|
1.गुणात्मक मापन किसी वस्तु, प्राणी, घटना अथवा क्रिया की विशेषताओं को गुणों के रूप में देखने-समझने को गुणात्मक मापन कहते हैं| शिक्षा और मनोविज्ञान के क्षेत्र में मापन का सम्बन्ध मानसिक मापन से होता है| यह एक जटिल कार्य है क्योंकि इस मापन में व्यवहार का मापन किया जाता है| मानव व्यवहार परिस्थिति एवं उद्दीपक के साथ परिवर्तित होता रहता है| अतः मानसिक मापन का स्वरूप निश्चित नहीं हो सकता है| इसके अंतर्गत आत्मनिष्ठता का गुण पाया जाता है और साथ-साथ वस्तु और घटना के सम्बन्ध में व्यक्ति की राय भी सम्मिलित होती है| यदि हमें किसी अध्यापक के कार्य की प्रभावशीलता का मापन करना हो या किसी के द्वारा बनाई गई पेंटिंग के विषय में निर्णय देना हो तो किसी मानक को आधार बनाना पड़ता है| उक्त निर्धारित मानक की सत्ता मूल्यांकनकर्ता के मन में ही रहती है| मूल्यांकनकर्ता द्वारा निर्धारित मानक आवश्यक नहीं है कि वह सर्वमान्य एवं उचित ही हो| उदाहरणर्थ एक छात्र द्वारा विज्ञान विषय के निबंधात्मक प्रश्न के दिये गए उत्तर का मूल्यांकन उसकी विषय-वस्तु, मौलिक चिंतन, भाषा, व्याकरण या शब्दों की संख्या आदि के आधार पर किया जा सकता है और उसकी तदनुसार उसे अंक प्रदान किया जा सकता है| विद्यार्थी से प्राप्त उत्तर में किस तरह की विषय-वस्तु मौलिक चिंतन, भाषा, व्याकरण या शब्दों की संख्या की आशा की जानी चाहिए इसका कोई निश्चित निर्धारित आदर्श नहीं होता है जिसके  फलस्वरूप यह मूल्यांकनकर्ता के मन में स्थित मानक पर निर्भर है| संक्षिप्त रूप में गुणात्मक मापन की निम्न विशेषताएँ हैं-
(i)गुणात्मक मापन के आधार प्रायः मानदण्ड   
होते है,जो सामान्य वितरण में औसत निष्पादन के आधार पर प्राप्त किए जाते हैं|
(ii)गुणात्मक मापन के मानदण्ड प्रायः सर्वमान्य नहीं होते हैं| यदि एक बालक किसी शिक्षक की नजर में उत्तम बालक का दर्जा प्राप्त करता है तो यह आवश्यक नहीं है कि अन्य शिक्षकों की ओर संकेत नहीं करते हैं|
(iii)गुणात्मक मापन कभी भी शत-प्रतिशत नहीं किया हा सकता है; जैसे-किसी बच्चे की नैतिकता का मापन शत-प्रतिशत संभव नहीं है|
(iv)गुणात्मक मापन परिवर्तनशील होते हैं क्योंकि मानसिक मापन गुणात्मक मापन का रूप होता है| यह समय और परिस्थित के अनुसार परिवर्तनशील होता है|
(B)परिमाणात्मक या मात्रात्मक मापन
परिमाणात्मक मापन का अर्थ भली-भाँति जानने हेतु परिमाण का अर्थ जानना आवश्यक होता है| परिमाणका अभिप्राय-ऐसी कोई वस्तु जिसकी भौतिक जगत में सत्ता हो, जिसे देखा जा सके और उसकी उपस्थिति या अनुपस्थिति को अनुभूत किया जा सके| इस प्रकार भौतिक मापन को परिमाणात्मक मापन की संज्ञा दी जाती है| उदाहरणार्थ-दूरी, लम्बाई, क्षेत्रफल, आयतन और भार आदि| परिमाणात्मक मापन की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
(i)                   परिमाणात्मक मापन का आधार सदैव इकाई का अर्थ होता है-शून्य बिन्दु से ऊपर एक निश्चित मूल्य का होना;जैसे- 12फीट का तात्पर्य 0 से 12 फीट|
(ii)              परिमाणात्मक मापन में प्रयुक्त यंत्र पर समान इकाइयां समान परिमाण को व्यक्त करती है; जैसे-1मीटर पैमाने पर अंकित से.मी. बराबर दूरी पर होते हैं और एक किलोमीटर के सभी मीटर समान दूरी पर होते हैं|
(iii)         परिमाणात्मक मापन की विवेचना की कोई विशेष आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि वह स्वयं में अर्थयुक्त होता है|
(iv)          परिमाणात्मक मापन में गणितीय सम्बन्ध पाया जाता है क्योंकि वह इकाई पर आधारित होता है|
(v)               परिमाणात्मक मापन शत-प्रतिशत सम्भव है;जैसे-किसी बालक का भर शत प्रतिशत इकाई में व्यक्त किया जा सकता है|
(vi)          परिमाणात्मक मापन स्थिर एवं निरपेक्ष रहता है| आत्मनिष्ठ ण होकर वस्तुनिष्ठ होता है| मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा निबन्धत्मक प्रश्न के उत्तर के मूल्यांकन में विभिन्न अंक प्रदान किया जाता है| जबकि बोरे में रखी चावल की तौल, चाहे जितने व्यक्ति तौले एक समान ही समान ही रहेगी|
(vii)     परिमाणात्मक मापन में परिशुद्धता अधिक पाई जाती है जिसके आधार पर भविष्य कथन भी अधिक विश्वास के साथ किया जाता है|

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17 comments :

  1. I'm grateful to you for this

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  2. Thanks
    But i amm searching for who said this
    Mapan vastuon yeah ghatnaon ko tark Purna dhang se sankhya pradaan karne ki Kriya hai

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  3. Thanks but I search sbse accha mapan konsa h krmik mapn ya antraal mapn please help me

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  4. I got a lot about measurement
    Thanks

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  5. Thanks

    To know more about आंतरिक एवं बाह्य मूल्यांकन visit Shiksha Paridarshan

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  6. whose statement is the measurement is defined as assigning numbers to object of events according to logical accepted rule

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  7. Mapan keep ister kon kon se plz btaiye kisi ko Pata Ho to 🙏🙏🙏

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  8. Complete copy
    Anyway
    Helpful for people

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